Poetic Rebellion .....

Tuesday, December 9, 2014

किसी मासूम को देखो … तो नजर यूँ रखना : Respect Women

किसी मासूम को देखो  …  तो नजर यूँ रखना   …
की उसे तेरी शराफत का एहसास न हो   …
बड़ी नाजुक है वो मासूम .... बहुत भोली है   ....
क्या पता उसको तेरी नज़रों का   … अंदाज न हो  ?

तेरी उठती हुई   … गिरती हुई   ...  पलकों की तहें   …
जो तेरी साजिशों को  .... सरेआम बयां करती हैं   …
वो सिमटती है खुद   ....  बचा के नज़र  .... यूँ तुझसे  ....
अपने हंसने से कहीं  … खुद वही बदनाम न हो   …

वैसे ये शाम का अच्छा है शग़ल  … लोगों का  …
कई चौराहों पर.... वो रोज़ खड़े रहते हैं   …
आँखें सिकती हैं  … बिना डर  के बेहयाई से   ....
जैसे हर जिस्म  .... जो गुजर था अभी  .... "नंगा हो "  …

खुद को इतना न बदल  … कि तेरी पहचान मिटे  ....
बहकी इन आदतों से यूँ  तेरा ईमान मिटे  …
अब तो रुक  ....  और बदल दे ये नज़र के नक़्शे   …
इससे पहले की तेरा सच  … और ये इंसान मिटे  ....