Poetic Rebellion .....

Saturday, December 21, 2013

Prove to be a man

तुम अगर साफ़गोई कि यहाँ पर बात करते हो ....
भला फिर वक़्त कि इन हरकतों से .... क्योँ ही डरते हो …

थपेड़े और भी आयेंगे .... यूँ तुम को गिराने को ....
कुल्हाड़ी और भी गहरी जड़ों को काट जाएंगी …
मगर ये सच नहीं है … तो उठो और सामने आओ …
ये आरोपों कि आंधी है … जरा लड़ के तो दिखलाओ …

गरीबों का मसीहा हूँ .... ये कहना काफी आसाँ है ....
बदलते वक़्त कि मैं ही दिशा हूँ … काफी आसाँ है …
मगर सैलाब में .... आंधी में खुद को थाम कर रखना …
अगर आता हो तुम को ये हुनर … तो ये भी बतलाओ …

कोई तो बात गहरी है …

बड़ी हलचल है राहों में .... कोई तो बात गहरी है …
तमाशा देखती तो है .... मगर ये भीड़ बहरी है …
किसी को है नहीं मालुम .... मज़मा क्योँ है ये सारा …
सुना है बीच में शायद … किसी कि लाश रखी है ।

है गुस्सा तो बहुत आवाम में .... कुछ कर गुजारने का …
मगर आवाज पहली कौन हो .... ये एक पहेली है …
कि पाना है यहाँ पर .... हर किसी को .... एक बेहतर कल ....
मगर आगे चलेगा कौन .... सब कि साँस ठहरीं है …

Friday, December 20, 2013

न हुस्न का चेहरा देख सके... न उसका बसेरा देख सके ..

ना वक़्त का पहरा देख सके... ना हुस्न का चेहरा देख सके...
ना खबर मिली ... ना राह मिली .... ना कोई पगली हवा चली ..

हम ऐसे उलझे राहों में , इन बातों में ... न ख्वाब सुनहरा देख सके ...
ना पता मिला .. ना कोई ख़त.... ना कोई कहानी किस्सा था ..
बस एक झलक थी आँखों में ... बस उसे लिए फिरते रहते ...
इन राहों में उन राहों में...


पर तभी अचानक नींद
खुली.... और ये जाना... सब ख़तम हुआ सोते सोते...
उफ़ क्या कहते बस...ये जाना ...
न हुस्न का चेहरा देख सके... न उसका बसेरा देख सके ...

Thursday, December 19, 2013

A political Cyclone

बीजेपी बहुत व्यस्त है … कांग्रेस बहुत पस्त है … 
और लोग कहते हैं … केजरी जबर्दस्त है … 
इन सब के बीच दिल्ली कि जनता … 
बेचारी दिल्ली कि जनता … बहुत त्रस्त है … । 

लोग फेसबुक पे लड़ते हैँ … दोस्तों से झगड़ते हैं … 
बीजेपी अच्छी है … केजरी सच्चा है … 
राहुल तो अभी कच्चा है (which is accepted without fight  )
ऐसी बातों पर सर पटकते हैं … । 

सारे के सारे पॉलिटिशियन हो गए हैं …
इधर उधर से … नेट से … जो मिलता है … चेपते हैं …
दो चार बड़े वाले ऐसे भी हैं … जो फेसबुक खोलते हैं …
पहली पोस्ट का, लास्ट कमेंट पढ़ के …
उसे लिखने वाले कि सर … देश द्रोह का मुकदमा ठोकते हैं ।

पिछले महीने मोदी का तूफ़ान चल रहा था …
इस महीने केजरी साइक्लोन बन गए हैं …
और हम सब , अपनी अपनी टाइम पास कि , रंग बिरंगी पतंगों को लिए ....
इस पोस्ट से उस पोस्ट … उस पोस्ट से इस पोस्ट … पेंच लड़ाए फिरते हैं …

चुनावी पत्रकारिता का भी बाजार गर्म है …
सच का पता करना … हर चूजे का अब धर्म है ....
कहाँ कहाँ से फ़ोटो लाते हैं … लगाते हैं … हटते हैं …
अब तो चाय कि चुस्कियों में … हर चाय वाले में मोदी ही नजर आते हैं ।

चुनाव के चक्कर में … लड़कियों ने फ़ोटो लगानी छोड़ दी हैं ....
जैसे क्रिकेट से पहले मूवी नहीं रिलीज़ होती थी …
वैसे ही लाइक के चक्कर में फ़ोटो रिलीज़ होनी बंद हो गयी हैं
लड़कियां इस पोलिटिकल कांस्पीरेसी बता रही हैं ....
और अगला धरना फेसबुक पे देने जा रही हैं ....

अगर यही माहोल रहा है … तो फेसबुक सुनसान हो जाएगा …
चुनाव तो ६ महीने में ख़तम हो जायेंगे …मगर ईमान बईमान हो जाएगा …
गर्लफ्रेंड तो फ्रैन्डलिस्ट में रह नहीं जाएंगी ....
और आखिरकार आर्टिकल ३७७ का काम हो जाएगा ....

आखरी लाइन से खुश तो तुम बहुत होगे लल्लन .... 

Monday, December 16, 2013

Love .... In a poetic way ..


मेरी चाहत में कैसी हैं ... ये दूरियाँ ...
पास बैठी हो तुम ... पर ये मजबूरियां ...
बेवजह ये नहीं ... बेखबर तुम नहीं ..
होठ चलते हैं पर ..कुछ वो कहते नहीं ..
चोरी चोरी से यूँ ... चुपके चुपके से यूँ ..
देखता हूँ तुम्हें ... ऐसे डर डर के क्योँ ..

मुझको छूती हुई ... तेरी कमसिन हंसी ..
बातों बातों में आँचल की नरमी छुई ..
उफ़ ये क्या हो रहा है ... ये क्या राज है ..
सारा माहौल ऐसे क्योँ मोहताज है ...

जिस्म तेरी छुअन से हैं जलता हुआ ...
आंसुओं से धुवाँ हैं निकलता हुआ ...
ये निगाहें ह्या ... तेरा ल्फ्जें बयां ...
तेरी हर एक अदा .. पे खुद है फ़िदा ...
फिर भला क्योँ न मैं इश्क तुझ से करूँ ...
चाहए दुनिया ... इसे माने ..मेरी खता ...

NAAP Party

तू मेरा काम कर  … मैं तेरी नाँव हूँ   ....
पेड़ है स्वार्थ का  … मतलबी छावं हूँ   …
आज कर दे मदत  … पर न उम्मीद रख  …
गिरगिटों से भरा है  .... मैं वो गावँ हूँ  …

तू है मासूम तो  … सुन  … ये गाली है एक  …
इस ज़माने कि फितरत पे  … कालिख है एक   …
कोई कुत्ता है गर  … तू कमीने सा बन   …
हरकतों से जता  … तेरा वालिद हूँ मैं  … 

Tuesday, December 10, 2013

आम आदमी पार्टी : सपनो का एक हवामहल

The best thing which can happen to a democracy is to have powerful opposition and the aggressive government. I don't know where I will be fit in... I pray for the best of our country... and hope... that i am introspecting my self ... and my party ...

मैं बेजारियों का एक पुलिंदा बन न जाऊँ   …
कहीं मैं शाम का सूरज बनूँ  … और ढल न जाऊँ  …
मैं डरता हूँ  … मेरे वादों में फितरत आ न जाए  …
जिन्हें बेज़ा कहा है  … मैं उन्हीं में मिल न जाऊँ  ।

बड़ी बेचैनियों के साथ  … मैं भी जी रहा हूँ  …
अकेले हूँ मंगर रह रह के बातें कर रहा हूँ  …
ये सपनो कि दुकां  … मेरी सजी तो खूब लेकिन  …
जिन्हें सपने दिए हैं   … मैं उन्हीं को छल न जाऊँ  … ।
जिन्हें बेज़ा कहा है  … मैं उन्हीं में मिल न जाऊँ  ।


From The heart of Kejariwal .....


Note: I do not support AAP (At least Till 2014 General Election)

Monday, December 9, 2013

ये एक पड़ाव है … इसे अपना शहर मत समझो ।

ख़ुशी के जश्न को सालों का सफ़र मत समझो .... 
ये एक पड़ाव है … इसे अपना शहर मत समझो । 

कभी जो चाँद पर पहुचो तो तुम्हें ध्यान रहे .... 
खुदा नवाज रहा है … इसे अपना हुनर मत समझो 

कल तलक मुझको लोगों कि दरकार थी ....

कल तलक चाँद जिसकी खिलाफत में था  ....
आज उसकी ही चौखट पे रोशन हुआ  ....

कल तलक जो जगह सर्द वीरान थी  ....
आज उमड़ा चला जा रहा काफिला  …

कल तलक जिसको कोशिश से परहेज था  …
आज हिस्से कि खातिर वो मुझ से मिला  …

कल तलक मुझको लोगों कि दरकार थी  …
बंद दरवाजे थे  .... मौन मुझको मिला   ....

कल तलक मेरी किस्मत बगावत पे थी  …
जिंदगी रात थी  … रात का सिलसिला   …

कल तलक मेरी  .... आमद भी गुमनाम थी  …
आज हर आदमी मुझसे आ के मिला  …


Disclaimer : It's is just a poetry not from AAP fan .. but from a person who can write few lines ....