तुम अगर साफ़गोई कि यहाँ पर बात करते हो ....
भला फिर वक़्त कि इन हरकतों से .... क्योँ ही डरते हो …
थपेड़े और भी आयेंगे .... यूँ तुम को गिराने को ....
कुल्हाड़ी और भी गहरी जड़ों को काट जाएंगी …
मगर ये सच नहीं है … तो उठो और सामने आओ …
ये आरोपों कि आंधी है … जरा लड़ के तो दिखलाओ …
गरीबों का मसीहा हूँ .... ये कहना काफी आसाँ है ....
बदलते वक़्त कि मैं ही दिशा हूँ … काफी आसाँ है …
मगर सैलाब में .... आंधी में खुद को थाम कर रखना …
अगर आता हो तुम को ये हुनर … तो ये भी बतलाओ …
भला फिर वक़्त कि इन हरकतों से .... क्योँ ही डरते हो …
थपेड़े और भी आयेंगे .... यूँ तुम को गिराने को ....
कुल्हाड़ी और भी गहरी जड़ों को काट जाएंगी …
मगर ये सच नहीं है … तो उठो और सामने आओ …
ये आरोपों कि आंधी है … जरा लड़ के तो दिखलाओ …
गरीबों का मसीहा हूँ .... ये कहना काफी आसाँ है ....
बदलते वक़्त कि मैं ही दिशा हूँ … काफी आसाँ है …
मगर सैलाब में .... आंधी में खुद को थाम कर रखना …
अगर आता हो तुम को ये हुनर … तो ये भी बतलाओ …