कुछ तेरे हुश्न की मासूम ..शरारत ने कहा .., कुछ लरजते हुए होठों के इशारों ने कहा .. ।
कुछ तेरे आँखों में घुमड़े उन सवालों ने कहा .., कुछ तेरी बेझिझक बालों की लटें कहने लगीं .. ।
जिंदगी यूँ ही नहीं है कि परेशाँ हों लें ... , ऐसी बेकार सी बातों में ही फ़ना हो लें ... ।
जिसकी जानिब यूं सारे काम करते हैं ..., कभी तो उसके साथ जिंदगी की पल जी लें ... ।
-------------------------------------------------------------------------------------------------------
बहुत ऊँची उड़ानें ...आदतन नाकाम होती हैं ...
बहुत उम्दा सहर मैं वारदातें आम होती हैं ...
वो जिन्दा है तो मतलब ये नहीं कि… वो सलामत है ..
यहाँ पैर मौत की आमद तो सुबहो शाम होती हैं ...
कुछ तेरे आँखों में घुमड़े उन सवालों ने कहा .., कुछ तेरी बेझिझक बालों की लटें कहने लगीं .. ।
जिंदगी यूँ ही नहीं है कि परेशाँ हों लें ... , ऐसी बेकार सी बातों में ही फ़ना हो लें ... ।
जिसकी जानिब यूं सारे काम करते हैं ..., कभी तो उसके साथ जिंदगी की पल जी लें ... ।
-------------------------------------------------------------------------------------------------------
बहुत ऊँची उड़ानें ...आदतन नाकाम होती हैं ...
बहुत उम्दा सहर मैं वारदातें आम होती हैं ...
वो जिन्दा है तो मतलब ये नहीं कि… वो सलामत है ..
यहाँ पैर मौत की आमद तो सुबहो शाम होती हैं ...