Poetic Rebellion .....

Saturday, January 17, 2015

जान क्या शय है ?

ख्वाहिशे यार में निकले  ....  तो जान क्या शय है ?
यूँ ही बेकार चली जाये  ……  तो बुरा लगता है  ....

वो तो पलकों का झपकना   … भी बहुत वाजिब है  …
उनको देखे  … वो झपक जाए  … तो बुरा लगता है  ....

खुद तो दौलत की नज़ाकत  ....  में हँसी भूले हैँ  ....
कोई भूखा  …  खुल के हँस जाए  … बुरा लगता है  ....