Poetic Rebellion .....

Saturday, November 30, 2013

याद रखना कि हम में भी है एक कशिश

नजरें खामोश सी देखती थी उसे  …
काश होठों में हलचल का आगाज़ हो  …
मेरी धड़कन मैं घुल जाए उसकी सदा  …
मेरे साये में भी उसका एहसास हो   ।

सीढ़ियों पर थिरकते वो उसके कदम  …
चेहरा यादों कि मुस्कान खुद पे लिए  …
मेरे एहसास से मुस्कुराती हुई  ....
जैसे मुझको बुलाने का अंदाज हो  ।

हुश्न वाले तुझे खूब जलवा मिला  …
मेरे मासूम दिल पर गिराते रहो  …
हम मिले ही नहीं थे कभी उम्र में  …
सोच लो सोच कर मुस्कुराते रहो ।

याद रखना कि हम में भी है एक कशिश  …
तुझको तेरे बदन से चुरा लायेंगे  …
तेरी आँखों में छायेगा मेरा बदन  …
चाहे जितना मुझे तुम जलती रहो  ।

Thursday, November 28, 2013

Media : And the changing pattern ...

मेरे लूटने के आलम को भले तुम भूल जाना पर   ....
मेरी इस मौत का उस न्यूज़ में  चर्चा नहीं करना   ....
जहाँ पर मीडिया ने रूह तक है बेच दी अपनी  ....
वहाँ मुझको भी ब्रेकिंग न्यूज़ का दर्जा नहीं देना  …

वजह इस मौत कि दुनिया भले ही कुछ समझ ले पर  …
मैं इतना जनता हूँ मेरे कारिंदो कि गलती है  ....
अभी हँस लो तुम्हारा वक़्त है  .... हँसना भी वाजिब है  …
मगर हर पल यहाँ पर वक़्त कि फितरत बदलती है  

Wednesday, November 27, 2013

दिली रिस्तों में गाठें … यूँ भी साँसें छीन लेती हैं

बहुत आसान है रिश्ते बना लेने सफ़र में यूँ   ....
अगर बस दूर से ही हाथ का हिलना हिलना है  …
मगर ये लूट लेते हैं ख़ुशी भी , सारी दुनिया भी  ....
दिली रिस्तों में गाठें  … यूँ भी साँसें छीन लेती हैं  …

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मैं वक़्त से लड़ते लड़ते ....कहीं थक सा गया हूँ ... अब ..
मेरे मेहंमा .. मेरी आजादियों का एक पता ..दे दो ..
मेरी यादों की तबियत ... फिर वहीँ पर जा रुकी देखो ..
मुझे एक हौसला दे दो .. नया सा सिलसिला दे दो ..

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Tuesday, November 26, 2013

An Evening in Bottle ...

मुक्मल ख्वाहिशें हो जाएँगी तो क्या जियेंगे   …।
न होगा दर्दे गम कोई   .... तो बोलो क्योँ पियेंगे  ....

जरा प्यासी रहे  होठों कि तबियत ये मुनासिब है  …
बड़ी तौहीन हो जायगी गर  … जी भर पियेंगे  .... ।

Saturday, November 23, 2013

Pointers ....

गुमशुदा यार है खामोश हैं मंजर देखो............
उसपे रुठी है डगर सुना सफर है देखो.............
हाले इस दौर में गर तुमको डरा जाय कोई.......
अपने काँधे पे मेरे हाथ का असर देखो.........


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बहुत unchi उड़ने आदतन naakam होती हैं, ,
बहुत उम्दा sahar में वारदातें आम होती हैं 

तू जीन्दा है तो मतलब ये नहीं की तू सलामत है ,
यहाँ पर मौत की आमद तो सुबहो शाम होती है |




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बहुत सी खिड़कियों से वो नजारा आम था  … 
कल जो मशहूर था  … वो आज यूँ बदनाम था  .... 
और पत्थर भी बहुत से गिरे थे उस पर तब  .... 

किसने सोचा था तब  … कि वो नेक था  … ईमान था  । 


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न हुस्न का चेहरा देख सके... न उसका बसेरा देख सके ...

ना वक़्त का पहरा देख सके... ना हुस्न का चेहरा देख सके...
ना खबर मिली ... ना राह मिली .... ना कोई पगली हवा चली ..
हम ऐसे उलझे राहों में , इन बातों में ... न ख्वाब सुनहरा देख सके ...
ना पता मिला .. ना कोई ख़त.... ना कोई कहानी किस्सा था ..
बस एक झलक थी आँखों में ... बस उसे लिए फिरते रहते ...
इन राहों में उन राहों में...
पर तभी अचानक नींद
खुली.... और ये जाना... सब ख़तम हुआ सोते सोते...
उफ़ क्या कहते बस...ये जाना ...
न हुस्न का चेहरा देख सके... न उसका बसेरा देख सके ...

आम आदमी पार्टी .... Worried ....Skeptical...Confused


जिसे अपना समझ कर  .... घर मैं लाया खुद ही अपने  …
उसीने  मौत का मेरी फ़ातिहा पढ़ दिया क्योँ  …

जहाँ नाजुक बहुत थी  .... नफ्ज मेरी धड़कनों कि  ....
वहीँ पर हाथ जालिम  … जाने उसने रख दिया  क्योँ   …


Thursday, November 21, 2013

AAP : Aam Aadmi Party : D real Challenges

तुम अगर साफ़गोई कि यहाँ पर बात करते हो  ....
भला फिर वक़्त कि इन हरकतों से  .... क्योँ ही डरते हो  …

थपेड़े और भी आयेंगे  .... यूँ तुम को गिराने को  ....
कुल्हाड़ी और भी गहरी जड़ों को काट जाएंगी  …
मगर ये सच नहीं है  … तो उठो और सामने  आओ  …
ये आरोपों कि आंधी है  … जरा लड़ के  तो दिखलाओ   …

गरीबों का मसीहा हूँ  .... ये कहना काफी आसाँ है  ....
बदलते वक़्त कि मैं ही दिशा हूँ  … काफी आसाँ  है  …
मगर सैलाब में  ....  आंधी में खुद को थाम कर रखना  …
अगर आता हो तुम को ये हुनर  … तो ये भी बतलाओ  …

AAP in your Favor

वक़्त पर बेवजह मत उठा उंगलियां  ....
तेरा दुनिया से ताल्लुक बिगड़ जाएगा  ....
कुछ तो मिलने मिलाने कि आदत बना  …
खुद के साये से वरना बिछुड़ जाएगा  …

सोच ले फिर बता  .... तुझको क्या चाहिए  …
हार कर मौत  .... या जिंदगी चाहिए  …
सुन सियासत  कि जादूगरी सीख ले  ....
वरना  प्यादा भी तुझको हरा जाएगा  ....

AAP --> Is it just a beginning

तवायफ़  कि मोहल्ले में  … घुटन होता बताता है  ....
नया कोई मोहल्ले में  ....  शराफ़त  से नहाया है  ....
जरा दो पल बिताने दो   .... उसे आबो हवा में  इस  …
फ़िजां ऐसा बना देगी  …  कि जैसे हमनवाया है  …



Sunday, November 17, 2013

और एक रोज ये सपने मरे पड़े होंगे …

कुछ तो मालुम हुआ अब मुझे तजुर्बे से  ....
ये भले दूर से मासूम  नजर आती है  ....
पर जवानी  का  अगर पावँ सम्भाला न गया  ....
ये समझ लीजिये  .... नासूर बना जाती है  ....

कुछ कदम तक तो आपके बगल खड़े होंगे  …
कल यही लोग किसी और संग खड़े होंगे  …
परसों होगा कहीं पे और ठिकाना इनका
और एक रोज ये सपने मरे पड़े होंगे  …।

तमाशा देखती तो है .... मगर ये भीड़ बहरी है …

बड़ी हलचल है राहों में  .... कोई तो बात गहरी है  …
तमाशा देखती तो है  .... मगर ये भीड़  बहरी  है   …
किसी को है नहीं मालुम  .... मज़मा  क्योँ है ये सारा  …
सुना  है  बीच में  शायद  … किसी कि लाश  रखी  है  ।

है गुस्सा तो बहुत आवाम में  .... कुछ कर गुजारने का  …
मगर आवाज पहली कौन हो  .... ये एक पहेली है  …
कि पाना है यहाँ पर  .... हर किसी को  .... एक बेहतर कल  ....
मगर  आगे चलेगा कौन  .... सब कि साँस  ठहरीं  है  …


Wednesday, November 13, 2013

दिल की धड़कन में सदा तेरी लिए फिरता हूं |

जब तलक रूप का दीदार नहीं करती है ..
तीर दिल के ये नजर आर पार करती है |
मानो साँसों को तेरी आह की जरुरत है ..
दिल की धड़कन में सदा तेरी लिए फिरता हूं |

सारी दुनिया की हर निगाह है जिसके जानिब...
वो तेरे पावँ तले सर कओ झुकता साहिब ..
लब का हिलना है तेरे दूर... मुस्कुराती भी नहीं ..
फिर भी सपनो में बसा .... तुझको तके जाता हूं..

ये मेरे इश्क की ताबीर नजर आती है ..
एक कमसिन सी हंसी मुझको जगा जाती है ..
ख्वाब में ही ये सही .. होता है अक्सर जालिम ..
मुस्कुराता तो हूं ..मैं अपने आप के बस में ..

सुन.. ऐ मेरी मोहब्बत ... नज़रों का सुन तकाजा ..
महरूम हूं ख़ुशी से ..दीदार का हूं .. प्यासा ..
ढा और न सितम तू ... आँखों की प्यास भर दे ..
लम्हों को दे के अपने ..ले जिंदगी मुझी से ..

Saturday, November 9, 2013

ऐसी शोहरत पे अपना वक़्त मत बर्बाद करो

खुद के चेहरे पे नजर हो.… तो सवालात करो.....
हो सके तो कभी.… खुद से भी मुलाक़ात करो.।

संगे दिल हैं तमाम लोग तेरी बस्ती के ....
अपनी चौखट से मगर आज कि शुरुआत करो …

तेरा पैसा, तेरी शोहरत , तेरा रुतबा कैसा ?
साथ बैठे हो मेरे .... कुछ तो नयी बात करो ....

कुदरतन हस्र जो होगा .... वो खुद देखेगा ....
बेवजह  तुम क्योँ जमाने का हर हिसाब करो.... ।

तुम से पहले भी कई सूरमां …… मिटे हैं यहाँ …
ऐसी शोहरत पे अपना वक़्त मत बर्बाद करो …… ।