बीजेपी बहुत व्यस्त है … कांग्रेस बहुत पस्त है …
और लोग कहते हैं … केजरी जबर्दस्त है …
इन सब के बीच दिल्ली कि जनता …
बेचारी दिल्ली कि जनता … बहुत त्रस्त है … ।
लोग फेसबुक पे लड़ते हैँ … दोस्तों से झगड़ते हैं …
बीजेपी अच्छी है … केजरी सच्चा है …
राहुल तो अभी कच्चा है (which is accepted without fight )
ऐसी बातों पर सर पटकते हैं … ।
सारे के सारे पॉलिटिशियन हो गए हैं …
इधर उधर से … नेट से … जो मिलता है … चेपते हैं …
दो चार बड़े वाले ऐसे भी हैं … जो फेसबुक खोलते हैं …
पहली पोस्ट का, लास्ट कमेंट पढ़ के …
उसे लिखने वाले कि सर … देश द्रोह का मुकदमा ठोकते हैं ।
पिछले महीने मोदी का तूफ़ान चल रहा था …
इस महीने केजरी साइक्लोन बन गए हैं …
और हम सब , अपनी अपनी टाइम पास कि , रंग बिरंगी पतंगों को लिए ....
इस पोस्ट से उस पोस्ट … उस पोस्ट से इस पोस्ट … पेंच लड़ाए फिरते हैं …
चुनावी पत्रकारिता का भी बाजार गर्म है …
सच का पता करना … हर चूजे का अब धर्म है ....
कहाँ कहाँ से फ़ोटो लाते हैं … लगाते हैं … हटते हैं …
अब तो चाय कि चुस्कियों में … हर चाय वाले में मोदी ही नजर आते हैं ।
चुनाव के चक्कर में … लड़कियों ने फ़ोटो लगानी छोड़ दी हैं ....
जैसे क्रिकेट से पहले मूवी नहीं रिलीज़ होती थी …
वैसे ही लाइक के चक्कर में फ़ोटो रिलीज़ होनी बंद हो गयी हैं
लड़कियां इस पोलिटिकल कांस्पीरेसी बता रही हैं ....
और अगला धरना फेसबुक पे देने जा रही हैं ....
अगर यही माहोल रहा है … तो फेसबुक सुनसान हो जाएगा …
चुनाव तो ६ महीने में ख़तम हो जायेंगे …मगर ईमान बईमान हो जाएगा …
गर्लफ्रेंड तो फ्रैन्डलिस्ट में रह नहीं जाएंगी ....
और आखिरकार आर्टिकल ३७७ का काम हो जाएगा ....
आखरी लाइन से खुश तो तुम बहुत होगे लल्लन ....
Poetic Rebellion .....
Thursday, December 19, 2013
Monday, December 16, 2013
NAAP Party
तू मेरा काम कर … मैं तेरी नाँव हूँ ....
पेड़ है स्वार्थ का … मतलबी छावं हूँ …
आज कर दे मदत … पर न उम्मीद रख …
गिरगिटों से भरा है .... मैं वो गावँ हूँ …
तू है मासूम तो … सुन … ये गाली है एक …
इस ज़माने कि फितरत पे … कालिख है एक …
कोई कुत्ता है गर … तू कमीने सा बन …
हरकतों से जता … तेरा वालिद हूँ मैं …
पेड़ है स्वार्थ का … मतलबी छावं हूँ …
आज कर दे मदत … पर न उम्मीद रख …
गिरगिटों से भरा है .... मैं वो गावँ हूँ …
तू है मासूम तो … सुन … ये गाली है एक …
इस ज़माने कि फितरत पे … कालिख है एक …
कोई कुत्ता है गर … तू कमीने सा बन …
हरकतों से जता … तेरा वालिद हूँ मैं …
Tuesday, December 10, 2013
आम आदमी पार्टी : सपनो का एक हवामहल
The best thing which can happen to a democracy is to have powerful opposition and the aggressive government. I don't know where I will be fit in... I pray for the best of our country... and hope... that i am introspecting my self ... and my party ...
मैं बेजारियों का एक पुलिंदा बन न जाऊँ …
कहीं मैं शाम का सूरज बनूँ … और ढल न जाऊँ …
मैं डरता हूँ … मेरे वादों में फितरत आ न जाए …
जिन्हें बेज़ा कहा है … मैं उन्हीं में मिल न जाऊँ ।
बड़ी बेचैनियों के साथ … मैं भी जी रहा हूँ …
अकेले हूँ मंगर रह रह के बातें कर रहा हूँ …
ये सपनो कि दुकां … मेरी सजी तो खूब लेकिन …
जिन्हें सपने दिए हैं … मैं उन्हीं को छल न जाऊँ … ।
जिन्हें बेज़ा कहा है … मैं उन्हीं में मिल न जाऊँ ।
From The heart of Kejariwal .....
Note: I do not support AAP (At least Till 2014 General Election)
मैं बेजारियों का एक पुलिंदा बन न जाऊँ …
कहीं मैं शाम का सूरज बनूँ … और ढल न जाऊँ …
मैं डरता हूँ … मेरे वादों में फितरत आ न जाए …
जिन्हें बेज़ा कहा है … मैं उन्हीं में मिल न जाऊँ ।
बड़ी बेचैनियों के साथ … मैं भी जी रहा हूँ …
अकेले हूँ मंगर रह रह के बातें कर रहा हूँ …
ये सपनो कि दुकां … मेरी सजी तो खूब लेकिन …
जिन्हें सपने दिए हैं … मैं उन्हीं को छल न जाऊँ … ।
जिन्हें बेज़ा कहा है … मैं उन्हीं में मिल न जाऊँ ।
From The heart of Kejariwal .....
Note: I do not support AAP (At least Till 2014 General Election)
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