Poetic Rebellion .....

Saturday, September 15, 2012

रुखसत : एक नयी कहानी

बस एक समोसे की खातिर लड़ जाना और झगड़ जाना ,
और एक चाय की प्याली में दो चार मुहों का जुड़ जाना |
वो एक माजा की बोतल के पीछे भागे सौ दीवाने ,
और एक ही लड़की के पीछे दो सगे दोस्त का लड़ जाना |
कब आएगा ये मंजर कब फिर से गाली गुन्जेगी ,
अब कैसे कलरव अविष्कार में मेरी ताली गुन्जेगी ,
डर लगता है सारी यादें मोतीलाल में छुटेंगी |

वो शाम सात से आठ बजे तक कॉलेज का ट्रैफिक हाई था ,
और उस से पहले कैंटीन का रौला हाई फाई था |
कुछ कहते हैं कुछ बैठे हैं कुछ बेकदरी में रहते है ,
मुझको मालुम है सब लड़के मन ही मन में ये कहते हैं ,
अब कौन चलाएगा DC अब कहाँ मिलेगा ये CC ,
अब कहाँ रात को तीन बजे हम चाय पीने जायेंगे |
सब के मन में ये टेंशन हैं अब कहाँ मिलेंगे bday बम ,
और कहाँ बैठ कर हॉट drinks की बोतल पर बोतल टूटेंगी |
डर लगता है सारी यादें जब मोतीलाल में छुटेंगी |

अब कैसे हम sharing पर से वो प्यारी फाइल उठाएंगे ,
और जिन्हें देख कर मस्ती में हम अपनी रात बितायेगे |
क्या होगा उन प्यारी प्यारी लड़की वाली सब गप्पों का ,
क्या होगा फर्जी किस्सों का ये तेरी वो मेरी वाले हिस्सों का |
और किस के पीछे हम सारे लड़के सज धज कर जायेंगे ,
अब कहाँ milengi संगम की और सिविल लाइन्स की वो यादें |
यूँ लगता है सारी खुशियाँ हम सब से अब तो रूठेंगी ,
डर लगता है सारी यादें जब मोतीलाल में छुटेंगी |

No comments:

Post a Comment