मैं तुझे प्यार की कश्ती में घुमा लाता पर …
इन हवाओं के सर्द झोको से घबराता हूँ |
मैं तुझे चाँद सितारों से मिला लाता पर …
इस तेरे हुस्न की चमचम से डरा जाता हूँ |
वैसे अफ़सोस नज़ारों का मुझे भी होगा …
वो तेरे हुस्न से दीदार ना हो पाएँगे |
पर तसली है की तू शाम तलक मेरी है …
जिनको जलना है वो खुद रात में खो जाएँगे |
तेरी साँसों का कहर जब भी गिरा है मुझ पर …
ऐसा लगता है की बेजान हुआ जाता हूँ |
यूँ तो कदमों मे तेरे हैं मुझे जन्नत का नसीब ..
तेरे कदमों की हर आहाट से ठिठक जाता हूँ
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