Poetic Rebellion .....

Thursday, November 28, 2013

Media : And the changing pattern ...

मेरे लूटने के आलम को भले तुम भूल जाना पर   ....
मेरी इस मौत का उस न्यूज़ में  चर्चा नहीं करना   ....
जहाँ पर मीडिया ने रूह तक है बेच दी अपनी  ....
वहाँ मुझको भी ब्रेकिंग न्यूज़ का दर्जा नहीं देना  …

वजह इस मौत कि दुनिया भले ही कुछ समझ ले पर  …
मैं इतना जनता हूँ मेरे कारिंदो कि गलती है  ....
अभी हँस लो तुम्हारा वक़्त है  .... हँसना भी वाजिब है  …
मगर हर पल यहाँ पर वक़्त कि फितरत बदलती है  

Tuesday, November 26, 2013

An Evening in Bottle ...

मुक्मल ख्वाहिशें हो जाएँगी तो क्या जियेंगे   …।
न होगा दर्दे गम कोई   .... तो बोलो क्योँ पियेंगे  ....

जरा प्यासी रहे  होठों कि तबियत ये मुनासिब है  …
बड़ी तौहीन हो जायगी गर  … जी भर पियेंगे  .... ।

Saturday, November 23, 2013

Pointers ....

गुमशुदा यार है खामोश हैं मंजर देखो............
उसपे रुठी है डगर सुना सफर है देखो.............
हाले इस दौर में गर तुमको डरा जाय कोई.......
अपने काँधे पे मेरे हाथ का असर देखो.........


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बहुत unchi उड़ने आदतन naakam होती हैं, ,
बहुत उम्दा sahar में वारदातें आम होती हैं 

तू जीन्दा है तो मतलब ये नहीं की तू सलामत है ,
यहाँ पर मौत की आमद तो सुबहो शाम होती है |




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बहुत सी खिड़कियों से वो नजारा आम था  … 
कल जो मशहूर था  … वो आज यूँ बदनाम था  .... 
और पत्थर भी बहुत से गिरे थे उस पर तब  .... 

किसने सोचा था तब  … कि वो नेक था  … ईमान था  । 


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