Poetic Rebellion .....

Tuesday, November 26, 2013

An Evening in Bottle ...

मुक्मल ख्वाहिशें हो जाएँगी तो क्या जियेंगे   …।
न होगा दर्दे गम कोई   .... तो बोलो क्योँ पियेंगे  ....

जरा प्यासी रहे  होठों कि तबियत ये मुनासिब है  …
बड़ी तौहीन हो जायगी गर  … जी भर पियेंगे  .... ।

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