Poetic Rebellion .....

Thursday, December 19, 2013

A political Cyclone

बीजेपी बहुत व्यस्त है … कांग्रेस बहुत पस्त है … 
और लोग कहते हैं … केजरी जबर्दस्त है … 
इन सब के बीच दिल्ली कि जनता … 
बेचारी दिल्ली कि जनता … बहुत त्रस्त है … । 

लोग फेसबुक पे लड़ते हैँ … दोस्तों से झगड़ते हैं … 
बीजेपी अच्छी है … केजरी सच्चा है … 
राहुल तो अभी कच्चा है (which is accepted without fight  )
ऐसी बातों पर सर पटकते हैं … । 

सारे के सारे पॉलिटिशियन हो गए हैं …
इधर उधर से … नेट से … जो मिलता है … चेपते हैं …
दो चार बड़े वाले ऐसे भी हैं … जो फेसबुक खोलते हैं …
पहली पोस्ट का, लास्ट कमेंट पढ़ के …
उसे लिखने वाले कि सर … देश द्रोह का मुकदमा ठोकते हैं ।

पिछले महीने मोदी का तूफ़ान चल रहा था …
इस महीने केजरी साइक्लोन बन गए हैं …
और हम सब , अपनी अपनी टाइम पास कि , रंग बिरंगी पतंगों को लिए ....
इस पोस्ट से उस पोस्ट … उस पोस्ट से इस पोस्ट … पेंच लड़ाए फिरते हैं …

चुनावी पत्रकारिता का भी बाजार गर्म है …
सच का पता करना … हर चूजे का अब धर्म है ....
कहाँ कहाँ से फ़ोटो लाते हैं … लगाते हैं … हटते हैं …
अब तो चाय कि चुस्कियों में … हर चाय वाले में मोदी ही नजर आते हैं ।

चुनाव के चक्कर में … लड़कियों ने फ़ोटो लगानी छोड़ दी हैं ....
जैसे क्रिकेट से पहले मूवी नहीं रिलीज़ होती थी …
वैसे ही लाइक के चक्कर में फ़ोटो रिलीज़ होनी बंद हो गयी हैं
लड़कियां इस पोलिटिकल कांस्पीरेसी बता रही हैं ....
और अगला धरना फेसबुक पे देने जा रही हैं ....

अगर यही माहोल रहा है … तो फेसबुक सुनसान हो जाएगा …
चुनाव तो ६ महीने में ख़तम हो जायेंगे …मगर ईमान बईमान हो जाएगा …
गर्लफ्रेंड तो फ्रैन्डलिस्ट में रह नहीं जाएंगी ....
और आखिरकार आर्टिकल ३७७ का काम हो जाएगा ....

आखरी लाइन से खुश तो तुम बहुत होगे लल्लन .... 

Monday, December 16, 2013

NAAP Party

तू मेरा काम कर  … मैं तेरी नाँव हूँ   ....
पेड़ है स्वार्थ का  … मतलबी छावं हूँ   …
आज कर दे मदत  … पर न उम्मीद रख  …
गिरगिटों से भरा है  .... मैं वो गावँ हूँ  …

तू है मासूम तो  … सुन  … ये गाली है एक  …
इस ज़माने कि फितरत पे  … कालिख है एक   …
कोई कुत्ता है गर  … तू कमीने सा बन   …
हरकतों से जता  … तेरा वालिद हूँ मैं  … 

Tuesday, December 10, 2013

आम आदमी पार्टी : सपनो का एक हवामहल

The best thing which can happen to a democracy is to have powerful opposition and the aggressive government. I don't know where I will be fit in... I pray for the best of our country... and hope... that i am introspecting my self ... and my party ...

मैं बेजारियों का एक पुलिंदा बन न जाऊँ   …
कहीं मैं शाम का सूरज बनूँ  … और ढल न जाऊँ  …
मैं डरता हूँ  … मेरे वादों में फितरत आ न जाए  …
जिन्हें बेज़ा कहा है  … मैं उन्हीं में मिल न जाऊँ  ।

बड़ी बेचैनियों के साथ  … मैं भी जी रहा हूँ  …
अकेले हूँ मंगर रह रह के बातें कर रहा हूँ  …
ये सपनो कि दुकां  … मेरी सजी तो खूब लेकिन  …
जिन्हें सपने दिए हैं   … मैं उन्हीं को छल न जाऊँ  … ।
जिन्हें बेज़ा कहा है  … मैं उन्हीं में मिल न जाऊँ  ।


From The heart of Kejariwal .....


Note: I do not support AAP (At least Till 2014 General Election)

Thursday, November 28, 2013

Media : And the changing pattern ...

मेरे लूटने के आलम को भले तुम भूल जाना पर   ....
मेरी इस मौत का उस न्यूज़ में  चर्चा नहीं करना   ....
जहाँ पर मीडिया ने रूह तक है बेच दी अपनी  ....
वहाँ मुझको भी ब्रेकिंग न्यूज़ का दर्जा नहीं देना  …

वजह इस मौत कि दुनिया भले ही कुछ समझ ले पर  …
मैं इतना जनता हूँ मेरे कारिंदो कि गलती है  ....
अभी हँस लो तुम्हारा वक़्त है  .... हँसना भी वाजिब है  …
मगर हर पल यहाँ पर वक़्त कि फितरत बदलती है  

Tuesday, November 26, 2013

An Evening in Bottle ...

मुक्मल ख्वाहिशें हो जाएँगी तो क्या जियेंगे   …।
न होगा दर्दे गम कोई   .... तो बोलो क्योँ पियेंगे  ....

जरा प्यासी रहे  होठों कि तबियत ये मुनासिब है  …
बड़ी तौहीन हो जायगी गर  … जी भर पियेंगे  .... ।

Saturday, November 23, 2013

Pointers ....

गुमशुदा यार है खामोश हैं मंजर देखो............
उसपे रुठी है डगर सुना सफर है देखो.............
हाले इस दौर में गर तुमको डरा जाय कोई.......
अपने काँधे पे मेरे हाथ का असर देखो.........


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बहुत unchi उड़ने आदतन naakam होती हैं, ,
बहुत उम्दा sahar में वारदातें आम होती हैं 

तू जीन्दा है तो मतलब ये नहीं की तू सलामत है ,
यहाँ पर मौत की आमद तो सुबहो शाम होती है |




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बहुत सी खिड़कियों से वो नजारा आम था  … 
कल जो मशहूर था  … वो आज यूँ बदनाम था  .... 
और पत्थर भी बहुत से गिरे थे उस पर तब  .... 

किसने सोचा था तब  … कि वो नेक था  … ईमान था  । 


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Friday, March 1, 2013

one liners

कुछ तेरे हुश्न की मासूम ..शरारत  ने कहा .., कुछ लरजते हुए होठों के इशारों ने कहा .. ।
कुछ तेरे आँखों में  घुमड़े उन सवालों ने कहा .., कुछ तेरी बेझिझक बालों की लटें कहने लगीं .. ।
जिंदगी यूँ ही नहीं है कि परेशाँ हों लें ... , ऐसी बेकार सी बातों में ही फ़ना हो लें ... ।
जिसकी जानिब यूं सारे काम करते हैं ..., कभी तो उसके साथ जिंदगी की पल जी लें ... ।

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बहुत ऊँची उड़ानें ...आदतन नाकाम होती हैं ...
बहुत उम्दा सहर मैं वारदातें आम होती हैं ...
वो जिन्दा है तो मतलब ये नहीं कि… वो सलामत है ..
यहाँ पैर मौत की आमद तो सुबहो शाम होती हैं ...

Tuesday, February 19, 2013

One Liners

मैं बहुत देर तक ... ठहरा रहा .. उस राह में ..
कई बार मुड़ के देखा भी .. चारों तरफ ..
हर बार बस यूँ ही लगा ... तुम हो यहीं .. हाँ बस यहीं ..
तो क्या हुआ ... गर होश में ...दिखते नहीं .. तुम हो यहीं ..हाँ बस यहीं ..