गुमशुदा यार है खामोश हैं मंजर देखो............
उसपे रुठी है डगर सुना सफर है देखो.............
हाले इस दौर में गर तुमको डरा जाय कोई.......
अपने काँधे पे मेरे हाथ का असर देखो.........
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बहुत unchi उड़ने आदतन naakam होती हैं, ,
बहुत उम्दा sahar में वारदातें आम होती हैं
तू जीन्दा है तो मतलब ये नहीं की तू सलामत है ,
यहाँ पर मौत की आमद तो सुबहो शाम होती है |
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बहुत सी खिड़कियों से वो नजारा आम था …
कल जो मशहूर था … वो आज यूँ बदनाम था ....
और पत्थर भी बहुत से गिरे थे उस पर तब ....
किसने सोचा था तब … कि वो नेक था … ईमान था ।
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उसपे रुठी है डगर सुना सफर है देखो.............
हाले इस दौर में गर तुमको डरा जाय कोई.......
अपने काँधे पे मेरे हाथ का असर देखो.........
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बहुत unchi उड़ने आदतन naakam होती हैं, ,
बहुत उम्दा sahar में वारदातें आम होती हैं
तू जीन्दा है तो मतलब ये नहीं की तू सलामत है ,
यहाँ पर मौत की आमद तो सुबहो शाम होती है |
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बहुत सी खिड़कियों से वो नजारा आम था …
कल जो मशहूर था … वो आज यूँ बदनाम था ....
और पत्थर भी बहुत से गिरे थे उस पर तब ....
किसने सोचा था तब … कि वो नेक था … ईमान था ।
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Vivek ji.....
ReplyDeleteAapki lekhni promising lagi. Khayaal umda hain... bas posting k waqt wartani jaanch len ek baar kyonki achchhi rachnaon mein vartani ki galatiyan khatak jaati hain.
Chahta to rawaayati taareef bhi kar sakta tha par tab imaandaar nahi rah pata. Gustaakhi maaf. :)
Ravi Shankar, Ji ye bahut achha hai ki koi aapse sach kahta hai ... kyounki sach se behtar koi judge nahi ho sakta. Dhanyawaad.
Deleteसुन्दर कतात लिखे हैं आपने.. जैसा ऊपर लिखा है वर्तनी जरूर ठीक करें और बीच बीच में रोमन में कुछ शब्द क्यों .
ReplyDeleteNeeraj Sir , wo sahi se type nahi ho raha tha isliey ....
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