Poetic Rebellion .....

Saturday, February 7, 2015

काश तुम समझ सकते ...

काश तुम समझ सकते ...
नशे का असर
हवा का जहर
फरेब का ये समर
काश तुम समझ सकते

वो खादी की टोपी  …
सफेदी की स्याही  ....
वो बातों के गुच्छे   … फरेबी की आदत
काश तुम समझ सकते

ये झूठे से वादे …
ये काँधे का मफलर …
ये रोनी सी सूरत … "और पीछे की हसरत "
काश तुम समझ सकते ।