Poetic Rebellion .....

Sunday, July 21, 2013

A new start may be .....

मैं अगर फैसले के वक़्त भी ... डरता ही रह गया ..
तो मेरी आत्मा की मौत का मंजर यहीं होगा ...

कल अगर फैसले मेरे .. मुझे देंगे दगाएं भी ...
तो मेरी कोशिशों को कम से कम गिला नहीं होगा ..


ये कहीं भी नहीं लिखा है की हर एक चाल जीत हो ..
कुछ भी न हो ... मंजिल से थोडा फासला ही कम होगा ..

Wednesday, July 17, 2013

The Beginning of a story ....

For A Change ...

चाहता तू भी तो है. ...हर सांस में उभारना ...
पर द्वन्द तेरे मन का .. तुझे पीछे खीचता है।
की लोग क्या कहेंगे .... गर हार तूने पायी ...
और हार का ये डर ..की तूने जीत भी गवाईं  ।

ख्वाहिश में था समंदर .. दरिया में  आ के सिमटा ..
छूना  था आसमान को ... और बादलों में  भटका ..
ये शर्म तेरी तुझको ... शर्मिन्दगी  ही देगी ..
गर जीतना है तुझको .. बेशर्म बन के लड़ना ..