मैं अगर फैसले के वक़्त भी ... डरता ही रह गया ..
तो मेरी आत्मा की मौत का मंजर यहीं होगा ...
कल अगर फैसले मेरे .. मुझे देंगे दगाएं भी ...
तो मेरी कोशिशों को कम से कम गिला नहीं होगा ..
ये कहीं भी नहीं लिखा है की हर एक चाल जीत हो ..
कुछ भी न हो ... मंजिल से थोडा फासला ही कम होगा ..
तो मेरी आत्मा की मौत का मंजर यहीं होगा ...
कल अगर फैसले मेरे .. मुझे देंगे दगाएं भी ...
तो मेरी कोशिशों को कम से कम गिला नहीं होगा ..
ये कहीं भी नहीं लिखा है की हर एक चाल जीत हो ..
कुछ भी न हो ... मंजिल से थोडा फासला ही कम होगा ..