चलती रहती है कलम और कलाम लिखते हैं ...
अपनी रातों को भी हम तेरे नाम लिखते हैं ...
कैसे कैसे हैं ख्यालात ये दिल मैं मेरे ...
आँसूं बन बन के छलकते हैं ये जस्बात तेरे ...
करवटों में ये पूरी रात गुजर जाती है ..
मन का अब चैनो अमन तेरे नाम लिखते हैं ..
कैसे जर्रे हैं भटकने भी नहीं देते हमको ..
कभी तो देखते हैं तुम को और कभी गम को ..
क्योँ अपने दरम्यान ही .. बंधनों की दुरी है ..
इन पनाहों को ... आखिरी सलाम लिखते हैं ...
कसमसाहट से भरी ये घडी गुजर जाए ..
भले सांसों की मेरी हर लड़ी बिखर जाए ...
तनहा रह के ये जिंदगी नहीं बिताएंगे ..
लो कोरे दिल पे आज तेरा नाम लिखते हैं ...
चलती रहती है कलम और कलाम लिखते हैं ...
अपनी रातों को भी हम तेरे नाम लिखते हैं ...
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