कुछ आँखें नम हैं .... कुछ आँखों में घोर क्रंदना बाकी है …
कुछ आहात हैं … कुछ भौचक्की … कहीं गीली सुर्ख उदासी है ....
कुछ खोये हैं दोहराने में … वो जीवन साथ बिताया जो …
कुछ मूक व्यथित से खड़े हुए … इस सच को अभी पचाने में …
पर कई धड़े है ऐसे भी … जिनको किंचित आवेग नहीं …
जो लाभ देखते अवसर का .... मानवता का आभास नहीं ....
ये मृत्यु नहीं उनकी खातिर .... एक मौसम है … एक मौका है …
इस राजनीति के दंगल में … जीवन क्या है … एक सौदा है ....
चेहरे अनेक .... साधन अतुलित .... उनकी पहचान पहेली है …
वो न्यूज़ रूम से आये है … या खाकी वर्दी ले ली है …
खद्दर तो मैली थी ही पर … अब पब्लिक का डर ज्यादा है ....
काँधे पर सर रखने वाला …ना जाने किसका प्यादा है …
हाँ आज तुम्हारे प्राइम टाइम पर … मेरी तस्वीर दिखाओगे …
हाँ आज सैकड़ों के हाथों में कैंडल होंगी … सड़कों पर …
हाँ मुझको भी जेसिका … निर्भया … जैसा एक ओहदा … दोगे ....
और संसद में होगा एक मौन …
कुछ आहात हैं … कुछ भौचक्की … कहीं गीली सुर्ख उदासी है ....
कुछ खोये हैं दोहराने में … वो जीवन साथ बिताया जो …
कुछ मूक व्यथित से खड़े हुए … इस सच को अभी पचाने में …
पर कई धड़े है ऐसे भी … जिनको किंचित आवेग नहीं …
जो लाभ देखते अवसर का .... मानवता का आभास नहीं ....
ये मृत्यु नहीं उनकी खातिर .... एक मौसम है … एक मौका है …
इस राजनीति के दंगल में … जीवन क्या है … एक सौदा है ....
चेहरे अनेक .... साधन अतुलित .... उनकी पहचान पहेली है …
वो न्यूज़ रूम से आये है … या खाकी वर्दी ले ली है …
खद्दर तो मैली थी ही पर … अब पब्लिक का डर ज्यादा है ....
काँधे पर सर रखने वाला …ना जाने किसका प्यादा है …
हाँ आज तुम्हारे प्राइम टाइम पर … मेरी तस्वीर दिखाओगे …
हाँ आज सैकड़ों के हाथों में कैंडल होंगी … सड़कों पर …
हाँ मुझको भी जेसिका … निर्भया … जैसा एक ओहदा … दोगे ....
और संसद में होगा एक मौन …
No comments:
Post a Comment