Poetic Rebellion .....

Sunday, January 19, 2020

आज की पत्रकारिता ....

कुछ आँखें नम हैं    ....  कुछ आँखों में घोर क्रंदना बाकी है    …
कुछ आहात हैं … कुछ भौचक्की … कहीं गीली सुर्ख उदासी है  ....

कुछ खोये हैं दोहराने में   … वो जीवन साथ बिताया जो   …
कुछ मूक व्यथित से खड़े हुए   … इस सच को अभी पचाने में   …

पर कई धड़े है ऐसे भी   … जिनको किंचित आवेग नहीं  …
जो लाभ देखते अवसर का  ....  मानवता का आभास नहीं   ....

ये मृत्यु नहीं उनकी खातिर  .... एक मौसम है  … एक मौका है   …
इस राजनीति के दंगल में   … जीवन क्या है   … एक सौदा है  ....

चेहरे अनेक .... साधन अतुलित  .... उनकी पहचान पहेली है   …
वो न्यूज़ रूम से आये है   … या खाकी वर्दी ले ली है  …

खद्दर तो मैली थी ही पर … अब पब्लिक का डर ज्यादा है  ....
काँधे पर सर रखने वाला   …ना जाने किसका प्यादा है   …

हाँ आज तुम्हारे प्राइम टाइम पर  … मेरी तस्वीर दिखाओगे …
हाँ आज सैकड़ों के हाथों में कैंडल होंगी   … सड़कों पर   …
हाँ मुझको भी जेसिका   … निर्भया   … जैसा एक ओहदा  … दोगे  ....
और संसद में होगा एक मौन  …








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