सपनों में पागलपन है और .... जीवन में आपाधापी है …
कुछ मंजिल पीछे छूट गयी … कुछ आगे आनी बाकी है ।
कुछ चेहरों से टकराये … तो कुछ रिश्तों का एहसास हुआ …
और कुछ रिश्ते जो पहले के … वहां किश्त चुकानी बाकी हैं ।
इतनी लम्बी फेहरिस्त … की तन्हाई भी हमको छोड़ गयी …
और अंतर्मन की बात .... तो बस कोरा एक ज्ञान किताबी है ।
पर फिर भी इतनी भीड़ .... भरा सैलाब … चले अनजान डगर …
तब समझा … क्योँ कहते थे… रघुकुल की रीति पुरानी है ।
कुछ मंजिल पीछे छूट गयी … कुछ आगे आनी बाकी है ।
कुछ चेहरों से टकराये … तो कुछ रिश्तों का एहसास हुआ …
और कुछ रिश्ते जो पहले के … वहां किश्त चुकानी बाकी हैं ।
इतनी लम्बी फेहरिस्त … की तन्हाई भी हमको छोड़ गयी …
और अंतर्मन की बात .... तो बस कोरा एक ज्ञान किताबी है ।
पर फिर भी इतनी भीड़ .... भरा सैलाब … चले अनजान डगर …
तब समझा … क्योँ कहते थे… रघुकुल की रीति पुरानी है ।
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