A Salute to Dushyant Kumar |
कुछ इस तरह से बदल जायेगी |
किसने सोचा था ये ....
एक जर्रे की आमद पहाड़ों की शै में बदल जायेगी |
वैसे जाने से पहले बता दूँ तुझे ...
तेरा साया भी है साथ तब तक तेरे ..
जब तलक तेरी आँखों में है ...ऐंठ कम....
वरना पापों की कालिख में साए तो क्या ...
काफिलों की भी बस्ती उजाड़ जायगी...
Kya baat hai tiwari ji. :)
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