Poetic Rebellion .....

Saturday, October 6, 2012

A Salute to Dushyant Kumar

A Salute to Dushyant Kumar
आँधियों में गिरे चंद पत्तों की तक़दीर ...
कुछ इस तरह से बदल जायेगी |
किसने सोचा था ये ....
एक जर्रे की आमद पहाड़ों की शै में बदल जायेगी |


वैसे जाने से पहले बता दूँ तुझे ...
तेरा साया भी है साथ तब तक तेरे ..
जब तलक तेरी आँखों में है ...ऐंठ कम....
वरना पापों की कालिख में साए तो क्या ...
काफिलों की भी बस्ती उजाड़ जायगी...

 

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