कभी शाम के अंधेरो में .. कभी शफ्फाक उजालों में .. |
कभी शाम के अंधेरो में .. कभी शफ्फाक उजालों में ..
कभी महकशीं की रातों में .. कभी मैकदों की प्यालों में...
जिंदगी रात दिन भटकती है....
जिंदगी रात दिन भटकती है....
ख्यालों के सवालों और.... सवालों के जवाबों में..
कभी करवटों में सिमटी है. ... कभी ख्वाहिशों में भटकी है ..
कभी ख्वाब से झगडती है .. कभी खुद से आके लडती है ..
मौत यूँ जिंदगी चुराती है ...
मौत यूँ जिंदगी चुराती है ...
तरक्की के तरानों में ... बुलंदी के फ़सानों में ...
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