कवितायें : भावनाओं का एक अविरल प्रवाह
Poetic Rebellion .....
Saturday, October 6, 2012
हम भला क्योँ न मोहब्बत से वफ़ा कर बैठें |
हम भला क्योँ न मोहब्बत से वफ़ा कर बैठें |
कुछ तेरे वक़्त का चर्चा,
कुछ तेरी हरकतें वल्ला,
हम भला क्योँ न जमाने से दगा कर बैठें |
कुछ तेरी आस में रह कर,
कुछ तेरे पास में जी कर,
...
हम भला क्योँ न मोहब्बत से वफ़ा कर बैठें |
:)
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