Poetic Rebellion .....

Monday, October 1, 2012

हर आरजू लुटी है तेरी ही बन्दिगी में ..

हर लफ्ज तेरी खातिर ...
हर बोल तुझ पे सजदा
हर आरजू लुटी है तेरी ही बन्दिगी में ..
चंदा की चांदनी तू...
कोयल की रागनी तू...
बेमोल बिक चूका हूँ में तेरी आशिकी में ...
आँचल का वो सरकना ..
एक रुत बदल गयी ज्यौं...
चन्दन लगे बदन ये .. तू उरवशी की काय!
हर अंग की छवि की ...
रुत क्या सजाई तुने...
में खुद भटक गया हूँ... तेरे रूप की गली में..
तेरे हुश्न का ये जलवा...
तेरी सादगी क़यामत ..
तेरी होठ जैसे सागर ... काजल के जैसे गेस्सू ..
उसपे ये तेरा हंस के ...
नजरें चुराना जालिम..
सौ बार मर चुका हूँ .. इस एक जिंदगी में ..
ये मत समझना मैंने ..
तुझे झाड पे चढ़ाया ..
ये इश्क था मेरा... जो अब तलक सुनाया ..
अब सुन वो दास्ताँ भी..
जो मुझ को है सुनानी ..
कुछ ट्विस्ट आ गया है ... आगे की लाइनों में
 

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