Poetic Rebellion .....

Tuesday, October 2, 2012

तेरा साया भी गर होता ... रात आँखों में कट जाती |

हजारों ख्वाब रातों में तेरे ..मुझको जगाते हैं ..
तेरी हर दास्ताँ मुझको वो गिन गिन के सुनाते हैं |
नजर ये भूल जाती है .. नींद जालिम बला क्या है ..
तेरा साया भी गर होता ... रात आँखों में कट जाती |

कई धुंधली सी लिए तश्वीर आँखों में भटकता हूं ..
तेरी मासूम शरारत में हर पल डूबता हूं.. जलता हूं ..
मगर अफ़सोस मुझको है यही ... तू है कहाँ दिलबर ..
तेरे एहसास के साए में मदहोशी सी छा जाती ..

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