Poetic Rebellion .....

Saturday, June 8, 2013

कुछ कही ... अनकही सी .....

आज फिर से मैं उसी कमरे में बैठ हूँ ...जिसके बारे में मेरे घर में कहा करते थे,
पुरोहित जी ने कहा है की यहाँ .. मत बैठो .. मन में शादी के ख्यालात उभर आयेंगे |

तब ये लगता था की बेवजह हैं बातें सारी ... कुछ नहीं होता है इन बेफुजूल किस्सों का ..
आज जब खुद पे नजर डालता हूँ तो मुस्कुराता हूँ .... सब को मालुम था .. पहले से ही .. की मैं ऐसा हूँ |

या ये कुसूर है ... इस बेजुबान कमरे का .., जिसकी  आहट में भी ...बस इश्क के झोंके आये ..
जिसने साँसों में मेरी इतनी मुहब्बत भर दी .. की जब भी आंखें झुकी ... बस हुश्न  से ही टकराए  |


To Be Contd.....

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